Yug Purush

Add To collaction

समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग -2)


Present Day, Atlantic Ocean


समुंदर में एक के बाद एक उठती तेज और विशाल लहरों को चीरता हुआ यह जहाज अटलांटिक महासागर के पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ रहा था.. जहाज के एक छोर पर खड़ा उस जहाज में काम करने वाला एक शख्स अपनी आंखों के परास से दूर उस भयावह समुंदर में उठा रहे एक के बाद एक भयंकर बवंडरो  को देख घबरा गया और सीधे अपने कप्तान के कक्ष की तरफ भागा...

" कप्तान... हम शायद डेविल्स ट्रायंगल के पास पहुंचने वाले हैं.." कप्तान के कक्ष के बाहर ही वह चीखा और वही खड़ा रहा.. जब कुछ देर बाद अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो वह फिर  बोला

" यह कैसा ठरकी कप्तान दिया है जब देखो तब शिप में मौजूद लड़कियों के साथ मजे करते रहता है और हमें यहां खड़ा करके रखवाली करवाता है.. साला, ठरकी..."

" क्या हुआ बे.. अपना गला क्यों फाड़  रहा है.. "कप्तान के कक्ष से निकलते हुए एक ऊंचे कद-काठी और मजबूत शरीर वाला आदमी अपने शर्ट की बटन बंद करते हुए बाहर आया

"कप्तान आदित्य, मुझे लगता है हम शायद डेविल्स ट्रायंगल के पास पहुंच गए हैं"

" पहुंच गए, इतनी जल्दी.. ये कैसे मुमकिन है...  अब मुझे क्या देख रहा,  चल सामने से हट..."

कप्तान ने अपने शर्ट की जेब से नक्शा निकाला और उसे खोल कर सामने मौजूद विशाल समुंदर की तरफ देखने लगा... पर उसके नक्शे की हालत वैसे ही थी जैसे विशाल समुंदर में उसके जहाज की


"इस नक़्शे की भी तेरी तरह फटी पड़ी है , सही स्थिति का मालूम नहीं चल रहा... सारे संपर्क तो वैसे भी दो दिन पहले टूट चुका है."

"अब क्या करें कप्तान.. कहे तो जहाज को रोकने की प्रक्रिया शुरू करूं ?"

" जहाज क्यों रोकेगा..  अपनी यह गटायन जैसी आंखों से देखता रह,  कोई खतरा दिखे तो फिर जवाब देना... मैं आता हूं काम अधूरा छूट गया था."


इतना बोल कर आदित्य, वापस अंदर चला गया और उसने  दरवाजा बंद नहीं किया. उस आदमी की नजर कमरे के अंदर पड़ी. सामने बिस्तर पर एक लड़की बिना कपड़ों के लेटी हुई थी और आदित्य को पुचकारते हुए  बुला रही थी


" आ गए मेरे कप्तान.. आ जा अब और इंतजार नहीं होता..."

" अपना यह रिसाव बंद कर.. साली, यह चादर क्या तेरा बाप आकर धोएगा... "उसके जिस्म पर हाथ फेरते हुए, उसके जिस्म को जोर-जोर से दबाते हुए आदित्य बोला

"कप्तान... धीरे .. धीरे क्यों...?"

" पूरा जोश चला गया.. उस लंगूर  ने बीच में बुलाकर ठंडा कर दिया"

बिस्तर पर लेटी वह लड़की उठ कर बैठी और जैसे ही उसने अपना मुंह.. आदित्य की तरफ किया  जहाज बुरी तरह अचानक डगमगाने लगा... और वह लड़की बिस्तर से सीधे नीचे गिरी.. उसके साथ कप्तान आदित्य भी नीचे गिरा...

" तेरी तो... ए लड़की. तुम अपना जोश बचा के रख.. मैं देख कर आता हूं क्या हुआ..."उठकर आदित्य खड़ा हुआ और पुनः बाहर की तरफ भागा लेकिन भागते वो गेट पर रुक गया और नीचे पड़ी लड़की को देख कर बोला...

"कपडे मत पहनना, जानेमन... मै यूँ गया और यूँ आया.. "
जहाज के बाहर खड़ा हुआ आदमी, अब पसीने से तरबतर हुआ जा रहा था.. और सामने समुंदर की तरफ देख रहा था

" अबकी बार क्या हुआ बे"

" कप्तान लगता है भयानक बवंडर जहाज की ओर आ रहे हैं..."

" बवंडर ? इसका मतलब समुंदर के पिछवाड़े में खुजली हो रही है... अभी शांत करता हूं, समुंदरकी खुजली... अबे यह क्या है.. इसकी मां का...."

" कहां कप्तान".

" अबे ऊपर देख.. आसमान में इतने बड़े पंछी कब से रेगने लगे"


वह बड़े बड़े पंछी, जहाज  की ओर  ही आ रहे थे.. और थोड़ी देर बाद उन विशालकाय पंछियो की परछाई भी जहाज पर पड़ने लगी थी..  वो पंछी इतना विशाल और इतनी संख्या मे थे की जहाज पर अंधेरा छाने लगा. समुंदर की विशाल और भयंकर लहरें जहाज से लगातार टकरा रही  थी.  जहाज के  लगातार डगमगाने के कारण जहाज में मौजूद सभी लोग बाहर की तरफ भागे .. और आसमान में उड़ते हुए विशाल पंछियों को मुंह फाड़ कर देखने लगे... उन पंछियों ने पूरे जहाज को घेर लिया और इस कदर घेरा हुआ था की  सूर्य की रोशनी तक जहाज पर नहीं पड़ रही थी.


"अबे, कोई बताएगा कि आसमान में क्या उड़ रहा है"

" कप्तान, हटो... "जहाज में काम करने वाले एक आदमी ने आदित्य को तुरंत  पीछे की तरफ खींच लिया और उसके बाद जो हुआ  उसे देख वहां खड़े हर एक शख्स के रोंगटे खड़े हो गए... आदित्य तो बच गया था, लेकिन उसके पीछे हटने से सामने दो लोग जिंदा जल रहे थे.


"कप्तान,  मैंने इनके बारे में पढ़ा है, यह तो ड्रैगन  हैं. खूंखार आग उगलने वाले जीव... आज तो गए काम से..."

" अच्छा.. तो यह ड्रैगन है.. इसीलिए इनके पिछवाड़े से आग  फेंक रहा है.. बंदूकें निकालो और भून डालो.. सालों को... आज रात के मांस का इंतजाम हो गया..."

कप्तान के आदेश  के बावजूद, बंदूकें लेने कोई नहीं गया. सब वहां जिंदा जल रहे दो लोगों को अब  भी देख रहे थे...  किसी को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था.... की उनके दो जहाजी उन्ही के सामने जिन्दा जल रहे है और इतना विशालकाय आग उगलने वाले जीव भी उनके बीच हो सकते है.. जिनके बारे मे उन्होंने सिर्फ किस्से -कहानियो मे पढ़ा था...


" इन दोनों को नहीं खाना है बे.. सालो , इन ड्रैगनस को खाना है, इसलिए बन्दूके निकालो और भून डालो..... "आदित्य ने चिल्लाकर कहा,


इस बार सभी हड़बड़ाहट में इधर उधर बंदूकें लेने भागे. तब तक विशाल ड्रैगनस ने जहाज को पूरी तरह से ढक लिया था... जहाज में काम करने वाले लोग, बंदूकें लेकर आए.. और अंधेरे में ऊपर  गोलियां चलाने लगे. तभी थोड़ी दूर समुंदर में तेज आवाज गूंजी, वह ध्वनि इतनी तीक्ष्ण थी की  सभी के हाथ उनकी बंदूकों को छोड़कर, उनके कानों पर आ गये...


"अब यह बेसुरा कौन है बे... कान फाड़ दिया"आदित्य ने भी बन्दूक छोड़ अपने कानो मे उंगलिया घुसाई

"कप्तान.... वह सामने देखो... बाप रे"

सामने समुंदर की एक लहर जहाज से भी कई गुना ऊपर उठ कर जहाज की ओर बढ़ रही थी... समुंदर में वह आवाज एक बार फिर गूंजी... समुंदर की उस विशाल रौद्र लहर एवं ड्रैगन्स  ने पूरे जहाज को एक झटके में अपने अंदर समेट लिया......

.

कोलकाता, भारत

कोलकाता के सबसे बड़े होटलों में शुमार ओबरॉय ग्रांड मे  एक के बाद एक कई महंगी कार की लाइन लग रही थी, इसका कारण था, वहा  होने वाली Apex  Predator नामक  एक जहाज बनाने वाली  कंपनी की  आपातकालीन बैठक.. जिसमें शहर के लगभग सभी बड़े  रहीस जादे शिरकत कर रहे थे.

" सब आ गए....?" मीटिंग रूम में 28 साल की एक नवयुवती सीईओ की  सीट से उठते हुए पूछी. जिसका  सभी ने हां में जवाब दिया. उस लड़की के सामने की तरफ इशारा करने पर सभी सामने लगी प्रोजेक्टर स्क्रीन पर देखने लगे....


" हमारा जहाज जो  बरमूडा ट्रायंगल जिसे कुछ लोग डेविल्स  ट्रायंगल भी कहते हैं, उसके सफर पर निकला था,  उससे 2 दिन पहले ही सारे  संपर्क टूट चुके है . और उस जहाज के बारे मे पता करने के हमारे सारे प्रयास भी विफल रहे है.  उसमें मौजूद कप्तान आदित्य और सवार सभी लोग अब शायद ही कभी वापस आए. पिछले कई घंटों से कौन से संपर्क करने की हमारी सारी मेहनत विफल रही है. इसलिए उन सभी को मरा हुआ मान लेना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. मैं हमारे इस असफल प्रोजेक्ट के लिए आप सभी से माफी चाहती हूं और आगे क्या करना चाहिए, जिसमें आप सभी की राय भी जानना चाहती हूं... "इतना बोल कर वह लड़की वापस अपनी सीट पर बैठ गई और अपने बालों पर उंगलियां फिराने लगी. तभी एक अधेड़ उम्र का आदमी उन लोगों के बीच में से ही उठा और अपने सर के  गिने-चुने बालों पर हाथ फिर आते हुए कहां


" मिस. रिया.. अब हम क्या कह सकते हैं. यह प्रोजेक्ट आपकी इच्छा थी हमारी नहीं... आप उस डेविल्स ट्रायंगल के पीछे पागल थी. हम सब ने कहा भी था कि यह असंभव है, लेकिन आपने हमारी नहीं सुनी... अब हमारी राय देने या फिर ना देने से क्या होगा..."

इतना बोल कर वो आदमी बैठ गया और उसके बैठते ही उसी की उम्र का एक और शख्स खड़ा हुआ


" देखिए रिया जी हम आपके फादर की बहुत इज्जत करते थे, पर आपकी लगातार बेफालतू के प्रोजेक्ट से और उनकी नाकामियों से हम सब तंग आ गए हैं. आपके फादर अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उन्ही  की खातिर हमने इन्वेस्टमेंट किया था. पर अब हमें लगता है कि हमें फिजूल खर्च बंद करना चाहिए.. और अपना सारा बचा हुआ पैसा अपने जहाज यातायात के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए लगाया जाए... ना कि आप के बेतुके के प्रोजेक्ट पर.. और मुझे लगता है कि यहां मौजूद कंपनी के सभी बोर्ड मेंबर मेरी इस राय से सहमत होंगे... "


रिया के चेहरे का रंग उड़ गया, उसे  गुस्सा भी आया लेकिन उसने शांत रहने की कोशिश की. सभी रिया और उसके प्रोजेक्ट को फिजूलखर्ची और फालतू बता रहे थे, रिया अपनी सीट से उठ खड़ी हुई और मीटिंग में मौजूद हर शख्स को देख कर बोली

"आप सभी भरोसा कीजिए,  नेक्स्ट टाइम हम जरूर कामयाब होंगे"

"सॉरी मिस रिया, अब हम आपका और समर्थन नहीं कर सकते..." यह कहकर मीटिंग में मौजूद सभी बोर्ड मेंबर एक-एक करके वहां से बाहर जाने लगे. और थोड़ी देर बाद वहां केवल सिर्फ दो लोग ही बचे थे.. एक थी रिया और दूसरी उसकी सेक्रेटरी....

"मैम, आप ठीक तो हैं.. ना "

Read My Other Stories....

1. 8TH SEMESTER ! (A College Life Story)

2. Locket (black magic + Fantasy)

३. yeh laal rang

   17
6 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 07:58 AM

Very best

Reply

Farhat

27-Nov-2021 12:43 AM

Bahut pyara likha he

Reply

Khushi jha

27-Oct-2021 06:33 AM

बहुत खूब

Reply